हमारे लिए RTI किसी बीमारी का इलाज नहीं है यह महज एक Diagnostic tool है.
*कैसे ?*
हम बीमार होते हैं तो डॉक्टर के पास जाते हैं. डॉक्टर कुछ जाँच पड़ताल करवाने की सलाह देते हैं उदाहरण के तौर पर अगर किसी के पेट में दर्द होता है तो सोनोग्राफी की सलाह देते हैं. किसी के जोड़ में दर्द या चोट वगैरह है तो एक्सरे करवाने की सलाह देते हैं . किसी को ब्लड की जाँच की तो किसी को यूरिन टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं.
*क्या जाँच करवा लेने से हमारी बीमारी दूर हो जाएगी ?*
*क्या जाँच के बाद सीधे घर लौट जायेंगे ?* नहीं ना....
अब हम जाँच रिपोर्ट डॉक्टर को देंगे. डॉक्टर उस रिपोर्ट का विश्लेषण करेंगे और पता लगायेंगे कि बीमारी क्या है ?
फिर उस बिमारी के हिसाब से इलाज शुरू करेंगे
इलाज भी दवा लिखते ही नहीं हो जायेगा. हम दवाई लेंगे फिर इसका असर होगा और बीमारी दूर भी हो जाएगी
सोनोग्राफी या एक्सरे मशीन की तरह जो सिस्टम के अंदर फलफूल रही बिमारी का निदान (Diagnose) करने में सहायता करती है. Diagnose(निदान) और Cure (इलाज) में फर्क होता है. अक्सर हम निदान को इलाज समझने की गलती कर बैठते हैं. निदान मतलब बीमारी का पता लगाना और इलाज तो इलाज होता ही है.
*इसलिए हमें RTI को इलाज नहीं समझना चाहिए. यह महज एक निदानात्मक साधन (Diagnostic Tool) है* जिसके उचित उपयोग और प्राप्त रिपोर्ट के सही विश्लेषण (Analysis) से हमें बीमारी पकड़नी है. फिर डॉक्टर के अंदाज में ही उस बीमारी का इलाज करना है.
*इसके लिए दवाइयां खूब हैं* अदालत है, स्थाई लोक अदालत है, सम्बन्धित विभाग के उच्चअधिकारी हैं और भी कई हैं
जैसे डॉक्टर हमेशा पढ़ते रहते हैं और नए नये तरीके से इलाज करते हैं हमें भी सिस्टम की बीमारियों को ठीक करने के नए नये तरीके खोज निकालने हैं.
आशा है आप समझ गये होंगे. अगर समझ गयें हों तो प्लीज आज के बाद हमें RTI एक्टिविस्ट ना कहकर नार्मल नाम से ही पुकार लेवें ।
*महावीर पारीक*
सीईओ & फाउंडर, Legal Ambit
7568295127
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